सपनों का शहर
जिंदगी जीने की तलाश में भटकता है जब
कोई स्वयं को घर से बहुत दूर भगा कर
तब देता हूॅं विराम उनके व्यर्थ भटकन को
उनकी जिजीविषा को मैं पुनः जगा कर
उसे अपना कर उनके मन को फिर से
अन्दर ही अन्दर करता रहता हूॅं मैं रोशन
और डूबती हुई उनकी आस में फिर से
भरता रहता हूॅं एक अलग नया मैं जीवन
बनाता हूॅं उन्हें धैर्यवान और ऊर्जावान
उनके यौवन को पूर्ण उमंगों से भरकर
निराश जीवन में नई आस जगाता हूॅं मैं
एक नई आशा के रथ पर उन्हें चढ़ा कर
तीव्र गति से आगे बढ़ाता जाता हूॅं उन्हें
सागर में किश्ती को बहुत दूर भगा कर
आगे तक बढ़ने का दम हो जाय उसमें
करता हूॅं मैं सुगम जीवन यात्रा निरंतर
आगे बढ़ कर उस कर्मवीर को आगोश में
भर लेने का निर्णायक निश्चित प्रहर हूॅं मैं
जगमगाता इठलाता बलखाता मदमस्त
मस्तियों भरा सुंदर सपनों का शहर हूॅं मैं