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14 Jan 2019 · 1 min read

सपने

बचपन बीता यौवन आया,
प्रेम ने अपना गीत गाया,
खोजा ढूढा बहुत प्रेम को,
जब नही मिला तो
उदास
निराश
कौन होगा मेरा प्रेम
कहाँ मिलेगा हमारा अपना प्रेम
तब मन ने सिर सहलाया
एक रूप हमे दिखाया,
और देखो भाग्य हमारा
आज सामने उसको पाया
पाकर भी कुछ कह न सका,
प्रेम का प्रदर्शन कर न सका,
उसको कैसे जाकर बताते,
हम भी तुम्हारे प्रेमी हैं,
प्रेम मेरा स्वीकार करो,
प्रेम से मेरा आलिंगन कर लो,
जब तक प्रेम की बात बताते,
वह बन चुकी थी और किसी की,
सजा ली मांग में सिंदूर किसी के नाम की,
गले में देखा उसके मंगलसूत्र
उसमे लिखा था किसी दूजे का नाम,
देख कर विह्वलता से आह तड़प के भरे,
पीछे कदम को मोड़ हम चल दिये,
इतने में मधुर आवाज आयी,
मुड़कर देखा तो वो थी आयी,
बोली बहुत देर कर दिए आने में,
मैं जा रही दूसरे आंगन में,
दौड़ पड़ी ले आंखों में आँसू,
दोनों हाथों से गले लगा ली,
इतना प्रेम करते थे तो बताये क्यो नही,
प्रेम भरा मन को अपने तड़पाये क्यो,
एक बार जो कह देते आकर मुझसे,
प्रेम करता हूँ सच्चा मैं तुमसे,
कह के माँ बाप से तुमको चुन लेती,
भरी समाज मे तुमको अपना लेती,
इतना कह कर रोने वो लगी,
इतने में आवाज आई,
दुल्हन की करो विदाई,
बड़ी मुश्किल से हमको छोड़ी,
दर्द सहते सहते मुख ओ मोड़ी,
गयी वो ससुराल में अपने,
टूट गए बेदर्दी के सपने,

Language: Hindi
248 Views
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