सपने
मेरे सपने बहुत नही है
शायद उतने व्यथित नही है
सोते-जगते स्वप्न दिखाती
छोटी-सी दुनिया हो अपनी
छोटी-मोटी जो रखी पुस्तकें
मुझको मेरा लक्ष्य दिला दें
लक्ष्य मिले तब टूटे सपना
सपना टूटे तो सब अपने हों
जो अपने हो सब सच्चे हों
लगे यहाँ कि भोले बच्चे हों
#दिव्या कुमारी 😊