//खर्च//
तिनका तिनका करके भरी थी जो सपनो की गुल्लक,
खर्च हो गई इन सपनो के पीछे अचानक…
ना जाने कैसे अब होंगे मकसद यह हासिल….
गर अरमानों की कस्ती को ना मिले उम्मीदों का साहिल।।।
पहली बार देख कर डगर यू, धुंधला गई पलके….
आज इनमें आरजू की जगह सिर्फ अश्क है छलके।।
आज इनमें आरजू की जगह सिर्फ अश्क है छलके….।।।।