सपने भी साकार हुए हैं
करते जो श्रंगार श्रम का
उनके दिन त्योहार हुए हैं
अपने ही सत्कर्मों से सब
सपने भी साकार हुए हैं ।
बसती लगन हिय में जिनके
उनके कर्म उपहार हुए हैं ,
सबके हित जो चिन्तन करते
वही सुखी हरबार हुए हैं ।
डरे नहीं जो तूफानों से
उनपर ही उपकार हुए हैं ,
रुके नहीं जो बीच राह में
धन्य वही घरबार हुए हैं ।
डॉ रीता