सपने के सपनों में
मैंने सपनों से कहा
सुन ले चल मुझे कोई
दूर देश में,
न ग़म का साया हो
न बिलखती नैना हो
फुल तो हो मगर
पतझड़ नहीं
नदियां हो पहाड़ हो
पर बाढ़ का साया न हो
प्रेम हो दर्द भी
पर दर्द का दर्द नहीं
सुन मेरे बातों को
सपने ने भी मुस्कुरा दिया
कहा शायद सपनों के सपने में
ऐसा कुछ मिल जाए
मेरे पास नहीं
तु और कहीं घूम के आ