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25 Aug 2024 · 1 min read

सपने के सपनों में

मैंने सपनों से कहा
सुन ले चल मुझे कोई
दूर देश में,
न ग़म का साया हो
न बिलखती नैना हो
फुल तो हो मगर
पतझड़ नहीं
नदियां हो पहाड़ हो
पर बाढ़ का साया न हो
प्रेम हो दर्द भी
पर दर्द का दर्द नहीं
सुन मेरे बातों को
सपने ने भी मुस्कुरा दिया
कहा शायद सपनों के सपने में
ऐसा कुछ मिल जाए
मेरे पास नहीं
तु और कहीं घूम के आ

Language: Hindi
21 Views
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