सपना
सपना मनुजों की होती है चाहत
हर एक मनुष्य की हर एक चाह
होती जगत में अनुपम दिवास्वप्न
किसी का कुछ तो किसी का कुछ ।
हर एक मनुष्य का विलक्षणा
न होती एक जैसी इस जग में
अपनी अपनो सपनों के लिए
करते जी तोड़ तपस्या भव में ।
मेहनत, परिश्रम का शिरोमणि
विज़न ही होता इस जगत में
बिना रियाज़त, जहद के यहां
न कुछ मिलता इस खलक में ।
सपना उसी की होती यथार्थ
जो सतत ही बढ़ते जाते अग्र
नियति भरोसे जो बैठता यहां
उनको न कुछ मिलता भव में ।
अमरेश कुमार वर्मा
जवाहर नवोदय विद्यालय बेगूसराय, बिहार