सपना
सपना
सपना में था धन मिला , लगा गया अब कष्ट
नींद खुली तो हो गया , भ्रम ही सारा नष्ट
भ्रम ही सारा नष्ट , धन्य है प्रभु की माया
जो था पहले प्राप्त , उसे ही जगकर पाया
अब आया यह ध्यान, दिखे जग में जो अपना
झूठ कपट किस हेतु , इसे होना है सपना