सपना ,
मेरा भी,था एक सपना
एक घर हो,अपना
्और घर में होंगी,
जरुरत कि सभी,वस्तुऐं
पर यह क्या,
घर तो,जैसे,तैसे बना ही दिया,
पर जरुरत कि उन वस्तुओं का क्या करुं,
जो,मेरी पहुँच से बहुत दुर,
मेरा मुह चिढा रही हैं,
और चकनाचूर किये जा रही है,
मेरे सपने को।
। जयकृष्ण उनियाल ।