सपना
सपना एक मनोहर नजारा है,
जो प्रत्यक्ष होता समक्ष,
बगैर किसी उद्यम के
सपना कभी ना होता सच,
इसको गढ़ना पड़ता सच।
सपनों को सच निर्माने में,
कितने प्राणी ने प्राण त्याग भी,
ना लहया सपने को जीवन में,
सपना उसी का साकार होता,
जो सर्वदा करता उद्यम है।
हर एक मनुष्य की मनोरथ,
सपना को सच गढ़ना है,
सपना ने विविध का,
तन्मयता ध्वंस कर डाला है,
जो मुरीद तन्मयता ध्वंस से,
वही जीवन में लहता मंजिल।
नाम :- उत्सव कुमार आर्या
जवाहर नवोदय विद्यालय बेगूसराय, बिहार