सपना या हकीकत
सपना या हकीकत
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सपने और हकीकत में
फासला बहुत है
और नहीं भी है।
सपनों को हकीकत में
साकार करना होता है,
इसके लिए निश्चय भरा
काम करना होता है।
सपने देखने में क्या जाता है?
परंतु सपनों की हकीकत के लिए
जूझना पड़ता है,
दिन रात खपना पड़ता है,
तब सपने हकीकत बनते हैं।
जो ये समझ पाते हैं,
उनके सपनों और हकीकत में
भेद काफी हद तक मिट जाते हैं।
◆ सुधीर श्रीवास्तव