सन 1857 से 1947 तक का संग्राम
सुनो प्रेम से मिलकर गाथा, त्याग और बलिदान की
मातृभूमि पर हुए नियौछावर, वीरों के महाप्रयाण की
धन सिंह गुर्जर मंगल पांडे, विद्रोही सेनानी थे
सेना और पुलिस में, विद्रोह की सूरत जानी-मानी थे
मेरठ से चिंगारी निकली, बुलंदशहर तक पहुंच गई
कानपुर झांसी और ग्वालियर, अवध लखनऊ भी झुलस गई
सन 1857 पहला स्वतंत्रता संग्राम था
फूटा था 100 साल का गुस्सा, एक नया आयाम था
नानासाहेब तात्या टोपे, रानी झांसी संग्राम में कूदी थी
गोरी पलटन को रानी ने, छठी की याद दिला दी थी
घेर लिया था रानी को किले में, अश्व सहित किले से कूदी थी
रणचंडी बन गई थी रानी, अंग्रेजों पर टूटी थी
काट रही थी नर मुंडो को, काबू में न आती थी
जो भी रानी के सामने आता, गर्दन उसकी कट जाती थी
आया बीच कालपी नाला, घोड़ा नया अढा था
अंग्रेजों के हाथ में आने, प्रश्न मुंह बाये खड़ा था
अंग्रेजों के हाथ न आने, गुरु की कुटिया स्वयं जलाई थी
वीरगति को प्राप्त हुई, अंग्रेजों के हाथ न आई थी
दुगवा नरेश और अवध नवाब ने, गोरों को ललकारा था गुर्जर सरदार और सामंतों ने, युद्ध का बिगुल बजाया था
दिल्ली की ओर कूच किया, अंग्रेजों को बहुत छकाया था
संसाधन की और समन्वय, ठीक से न हो पाए थे
कुछ रजवाड़ों ने न साथ दिया, जो अपने थे, नहीं पराए थे
आजादी का जज्बा था, नहीं नए हथियार थे
लड़ते-लड़ते प्राण गवाएं, बे मातृभूमि के प्यार थे
प्रथम संग्राम की वह चिंगारी, लपटें बन कर आई थी
उसी प्रेरणा से लड़कर, 100 साल में आजादी पाई थी
शहीद भगत सिंह आजाद और बिस्मिल, सुखदेव ने फंदे चूमे थे
सुभाष चंद्र ने अपने बूते पर, फौज बनाकर कई देशों में घूमे थे
सन 1919 में जलियांवाला कांड हुआ
आक्रोशित हो गया देश सन 1920 में असहयोग आंदोलन का ऐलान हुआ
देश बहुत गुस्से में था, हिंसा का इजहार हुआ
बापू को न भाई हिंसा, आंदोलन वापसी का ऐलान हुआ
गांधीजी की ना भाई अहिंसा, गरम और नरम दल बने
मातृभूमि की आजादी को, दोनों ही हथियार बने
सन 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन का ऐलान हुआ
दांडी मार्च किया बापू ने, देश में नया संचार हुआ
सन 1942 में अगस्त क्रांति हुई, अंग्रेजों भारत छोड़ो करो या मरो की नीति हुई
1943 में सुभाष ने समानांतर सरकार बनाई
नरम और गरम दल की समानांतर चली कार्रवाई
वीर सुभाष ने, आजाद हिंद फौज का गठन किया
समानांतर सरकार बनाई, और उसका नेतृत्व किया
आजादी की नींव में, लाखों ने आहुति डाली
मातृभूमि की सेवा में, प्राणों की बलि दे डाली
तिलक गोखले सरदार पटेल, नेहरू गांधी का सपना था
नरम और गरम दल का, प्रयास भी अपना-अपना था
ढेर नाम है अमर शहीदों के, नाम कहां लिख पाएंगे
आने वाली पीढ़ी युग युग, शहीदों का यश गाएंगे
जय हिंद
सुरेश कुमार चतुर्वेदी