सन्मति औ विवेक का कोष
कल आज कल में बीत
रहे उम्र के दिन तमाम
जो मानव सेवा करें बस
उनका ही होता है नाम
अच्छे कर्म और व्यवहार
ही दुनिया को रहते याद
अच्छाई के लिए करता हर
व्यक्ति प्रभु से फरियाद
धन, दौलत या संपत्ति से
बड़ी है सत्कर्म की लकीर
वेद पुराण बताते यही कि
ये बदले इंसान की तकदीर
ईश्वर से निशि दिन मांगिए
सन्मति औ विवेक का कोष
ये जो साथ में रहे तो जीवन
बना रहेगा सदैव ही निर्दोष