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3 Sep 2020 · 1 min read

— सन्नाटा —

होती है शाम
तो होने लगता है सन्नाटा
जैसे जिंदगी में
हर लम्हा करता है
परेशां उस वक्त
अँधेरी सी रात में
हर तरफ अब वो
चेहचाहहट सुनाई नहीं देती
हर तरफ वो अब
खिलखिलाहट
सुनाई नहीं देती
कितना बदल गया है
मंजर अब जिंदगी का
हर तरफ रुस्वाई ही
रुस्वाई दिखाई है देती
सन्नाटे में कट रही है
जिंदगी , अब
तो जिंदगी में
हसाई कहीं नहीं दिखती
कितने रौशन हुआ करते थे
वो घर, बाजार
पर अब कहीं
रौनके गुलजार
दिखाई नहीं देती

अजीत कुमार तलवार
मेरठ

Language: Hindi
1 Like · 448 Views
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