सन्देशा
✒️?जीवन की पाठशाला ?️
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की अगर धर्म की रक्षा और सत्य की राह पर चलते हुए कोई प्रण /वचन तोड़ना भी पड़े तो भी वो धर्म की श्रेणी में ही आता है …अन्यथा परिणाम भीष्म पीतामाह की तरह होता है …,जहाँ वचन की रक्षा करते हुए भी अधर्म एवं पाप का भागी बनना पड़ा …,
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की कई बार जिंदगी के रणक्षेत्र में शतरंज की बिसात पर कई बार अपने ही राजा रानी वजीर और प्यादों से मात खानी पड़ती है…,
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की जब कभी भी उस परमपिता का नाम जपते -भजते आँखों से आंसू छलक आएं तो समझ लेना की आपका सन्देशा पहुँच गया ….,
आखिर में एक ही बात समझ आई की जो अनिश्चित है वो है जिंदगी और जो निश्चित है वो है मृत्यु ,फिर भी देखिये हम उस अनिश्चित जिंदगी के लिए क्या क्या सही गलत कर्म -गुनाह नहीं करते और एक निश्चित मृत्यु से मुक्ति के लिए नहीं के बराबर जप -तप -ध्यान -सद्कर्म करने से बचते हैं …वाह रे इंसान …?
बाक़ी कल , अपनी दुआओं में याद रखियेगा ?सावधान रहिये-सुरक्षित रहिये ,अपना और अपनों का ध्यान रखिये ,संकट अभी टला नहीं है ,दो गज की दूरी और मास्क ? है जरुरी …!
?सुप्रभात?
स्वरचित एवं स्वमौलिक
“?विकास शर्मा’शिवाया ‘”?
जयपुर-राजस्थान