‘सनातन ज्ञान’
सनातन धर्म की जड़ें इतनी गहरी हैं जैसे अमर बेल की जड़ अदृष्य रहती है शिवत्व का भेद जानना दुष्कर है।तभी तो दुनिया का एक विशिष्ट धर्म है। बाकी देशों की सभ्यता संस्कृति में कुछ समानता हो भी सकती है। पर सनातन जैसे विचारधारा शायद ही हो। ज्ञान विज्ञान , में भारत का तो कोई सानी ही नहीं। चिकित्सा जगत हो ,खगोलशास्त्र हो , तंत्र मंत्र ध्यान योग के अद्भुत चमत्कार ,वास्तु शिल्प, जीवन जीने की कला, आचरण संबंधित का ज्ञान उदारता, सहिष्णुता वीरता शौर्य में भी परिपूर्ण। इसका पार पाना भी दुष्कर है।
जब हृरणाक्ष्य ने धरती को चुराकर समुद्र में छुपा दिया था तब श्री हरि ने पृथ्वी को वरहावतार लेकर बचाया ऐसी कथा वेदों में है। पृथ्वी का अस्तित्व आज के वैज्ञानिक खोज से पहले था । पृथ्वी की आकृति कैसी है यह वेदों में वर्णित है।वैज्ञानिकों ने पृथ्वी की गोल आकृति की खोज बाद में की पर सनातन ज्ञान में पहले से पृथ्वी को गोल आकार का बताया गया है । जगन्नाथ मंदिर की यह मूर्ति हजारों साल पुरानी है।इसमें देखिए श्री हरि ने जल में डूबी हुई धरती को किस प्रकार उठाकर बचाया था। इसमें पृथ्वी गोलाकार ही दिखाई गई है। जय सत्य सनातन ।
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