सनम मेरी बाहों में है
ए घड़ी तू रुक जा जरा
अभी तो सनम मेरी बाहों में है
फिर कभी पल ये हंसी
मिले ना मिले
जिंदगी जन्नत सी लगती पनाहों में है
ए घड़ी तू रुक जा…….
अभी तो हम आए जरा मुस्कुराए
दीवाना बनाती है उनकी अदाएं
एक होने की सपना निगाहों में है
ए घड़ी तू रुक जा…….
कहीं गूम ना हो जाए इधर उधर
ढूंढता फिरूंगा मैं कहां किधर
मंजिल मेरी उनकी राहों में है
ए घड़ी तू रुक जा………
रुक कर कभी तू भी ले सुन
होता है क्या यह प्यार की धुन
मोहब्बत मिलती ना सस्ती बाजारों में है
ए घड़ी तू रुक जा……….!!
सुनिल गोस्वामी