सनम ने सफर में मेरा साथ छोड़ा
क्या गजब का समा जब तुम मुझसे मिली
अब नहीं सामने जैसे दुनिया नहीं
एक रास्ते के हम थे मुसाफिर मगर
तूने राहों को अपना क्यों मोड़ा
सनम ने सफर में मेरा साथ छोड़ा !!
नींद आती नहीं याद आ जाती है
आके पलकों को मेरी भींगा जाती है
घुट घुट के जियूँ कैसे तू दे बता
दिल के रिश्ते का बंधन क्यों तोड़ा
सनम रे••••••••••
ले गई लूट के उसने दुनिया मेरी
तन्हा तन्हा रहा हूं बस लिखूं शायरी
प्यार दूजा से था तो बताती जरा
दिल के महलों पर बम क्यों फोड़ा
सनम ने•••••••••
नहीं जीना बने नहीं मरना बने
क्या हुआ हादसा नहीं कहना बने
मोहब्बत की होती है ऐसी सजा
इस रास्ते पर चलता ना थोड़ा
सनम ने सफर में मेरा साथ छोड़ा !!
सुनिल गोस्वामी