सनम आंसू
तू आयी जहां में सनम जिस दिन,
बहारों ने गुल खिलाए थे,
हवा ने गीत गुनगुनाए थे,
सर्द गुलाबी वो सुभा थी,
नन्ही परी सी तुम आयी थी,
महक उठा था चमन सारा,
नन्ही पलके जब तुमने उठाई थी,
भेजा था रब ने तुझे मेरे लिए,
मैंने भी सदियों तेरे लिए पलके बिछाई थी,
धीरे-धीरे बचपन बीता,
यौवन की ऋतु आयी थी,
झूम-झूम कर सावन बरसा,
निगाहें तुम संग जब टकराई थी,
खो से गये थे इक-दूजे में हम,
उस पल तुम कुछ शरमाई थी,
मुझको वो पल याद हैं आज भी,
जब हाथों में हाथ तुम पकड़ाई थी,
पाकर तुमको लगा था…
जैसे अब मैं पूर्ण हुआ,
चाहत कोई अब बाकी न थी,
तुम सनम मुझे अपनाई थी,
प्यार सनम तूने इतना दिया,
मेरा हर सपना पूरा किया,
मगर वक़्त की चाहतों को,
मन्जूर हमारा प्यार न था,
आज तक मैं समझ न पाया सनम,
क्यों कर तू बेवफा हुई सनम,
क्यों इस दिलवाले को तूने,
बेदर्दी किया सनम,
जाना ही था गर तुमको,
इक बार मुझे कहकर जाती सनम,
जीने का हक तुम ले गई जब..
जिन्दगी भी मेरी ले जाती सनम,,
जिन्दगी,,,,
जिन्दगी,,,,,,,,,