सदा श्रेष्ठ मैं काम करूं
जन्म दिया सुंदर धरती पर
प्रभु मुझ पर उपकार किया
दुर्लभ मनुज तन देकर तुमने
बहुत बड़ा उपहार दिया
कृतज्ञ रहूं जीवन भर दाता
सदा श्रेष्ठ मैं काम करूं
अपने चिंतन कर्म सोच से
मानव को अनुकरणीय बंनू
जन्म जन्मांतर की यात्रा में
देह यह दुर्लभ पाई है
अपने चाल चरित्र से मेरी
हो न जग में हंसाई है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी