!!! सदा रखें मन प्रसन्न !!!
जब मन में हम सोचते, अच्छे नेक विचार।
खुश रहता है मन सदा, रहते दूर विकार।।
मन को प्रसन्न राखिए, मन से बनते काम।
बिन मन के होती नहीं, खुशियों वाली शाम।।
खाली कभी न बैठिए, खाली मन शैतान।
मस्त रहो फिर काम में, ले प्यारी मुस्कान।।
जब अपना मन खुश रहें, भागे सब अवसाद।
मानो तुम इस बात को, कहता सदा “प्रसाद”।।
आओ मिलकर प्रण करें, होंगे न कभी उदास।
बांटेंगे खुशियाँ सदा, होगा यही प्रयास।।
— जगदीश “प्रसाद” लववंशी