सदा खुश रहो
प्रिय अभिनीत को,
दुआ है मेरी तुम सदा खुश रहो
सदा खुश रहो, सदा खुश रहो
खुशियों से भरा रहे जीवन तुम्हारा
उन खुशियों में सदा तुम मुस्कुराते रहो
दुआ है यही बस दुआ है मेरी
जितने हैं आसमां में सितारे यहाँ
जितने हैं सागर में मोती यहाँ
जितने हैं गुलिस्तां में फूल यहाँ
उससे भी अधिक हों दिन जीवन के तुम्हारे
दुआ है यही बस दुआ है मेरी
फूलो फलो तुम सदा खुश रहो
दुख का साया भी पढ़ने न पाए कभी
कोमल मन, कोमल तन है तुम्हारा
चुभने न पाए कभी कोई काँटा तुम्हारे
दुआ है यही बस दुआ है मेरी
-डॉ चित्रा गुप्ता