सदाशयता के मूल्य
राजनीति के खेल से गायब हुए
क्यों अब सदाशयता के मूल्य
अधिकांश नेता अब तल्ख बातों
से बिखेर रहे केवल शूल ही शूल
नेताओं की कारगुजारियों से नित
चकित हो रहे देश के सभी स्तंभ
जनता को झेलना पड़ रहा है हर
तरफ से बस उपेक्षाओं का ही दंश
जनाकांक्षाओं को हाशिये पर डाल
नेता बस आत्मश्लाघाओं में मस्त
बढ़ती महंगाई और समस्याओं के
बोझ से देश का आम आदमी पस्त
संसद और विधानसभाओं में जा
पहुंची है धनिकों की बड़ी जमात
ऐसे में भला फिर कौन कम करेगा
आम जन के जीवन के मुश्किलात