!!~ हे गंगा माँ तुझ बिन सब प्यासे ~!!
अगर तू नहीं तो कैसे
बुझेगी प्यास इस जग की
तू है तो जिदगी है सब की
तेरी महत्ता को जानते सब हैं
फिर भी दुरूपयोग करते सब हैं
न मिले अगर तू किसी को
प्यासे देखो कैसे मर जाते सब हैं
तूने दिया है जीवन सब को
तभी तो जिन्दा हैं हम सब
गंगा तू, यमुना तू,
सरस्वती, कावेरी तू
जल मगन है दुनिया तेरी
फिर भी सब को देती जीवन तू
तेरा रूप अलग अलग है
गंगा जैसी नहीं कोई पवित्र है
बाकि सब को रखना मुश्किल
तभी तो धर्म की जननी है तू
तेरा रोद्र रूप देख कर
जान निकल जाती है सब की
सब पर कृपा रख हे जल देवता
“करूणाकर” करता विनती
न रहे कही भी कोई प्यासा
तेरे से ही जीवन चले
और सब की प्यास बुझाती रह तू
अजीत कुमार तलवार
मेरठ