सत्य की कहानी
जीवन भर भागते रहे , दौड़ते रहे ,
ना जाने क्या क्या अधर्म करते रहे l
जीवन राह आसान बनाते रहे ,खूब सुख संपदा जोड़ी,
जीवन मे कुछ कमी ना छोड़ी l
जब मौत सामने आकर हुई खड़ी ,टूटी जीवन की लडी,
तब जाकर होश आया ये सब तो था झुठ
सत्य तो अब सामने आया