सत्य है भीतर
माया के जाल में फंसा इंसान बेखबर
सत्य की खोज में घूम रहा इधर-उधर,
मोह-माया के जाल बंधा ना रखें सबर
जबकि सत्य छिप रहा है उसके भीतर।
संतोष कहां उसे, इच्छाएं रखें अनन्त
प्रतिस्पर्धा युग में खुद का ही करें पतन,
सुख ना पाएं कैसै भी करलें लाख जतन
सत्य को नही समझें,असत्य बोले वचन।
सत्य की खोज में कस्तूरी मृग सा भागे
बिन सोचे वचन उगलें सत्य से घबराते,
दिखावटीपन में अर्द्ध सत्य को सत्य माने
सच को साथ मिले कहां झूठी शान के आगे।
-सीमा गुप्ता अलवर राजस्थान