सत्य सनातन पंथ चलें सब, आशाओं के दीप जलें।
सत्य सनातन पंथ चलें सब, आशाओं के दीप जलें।
धर्म युक्त व्यवहार सभी का, सत्य जनित हर पुण्य फले।।
करो कृपा हे! रघुकुल राघव, हर मन से तम दूर रहे।
द्वेष विकार रहित उर सबका, हृदय प्रीत भरपूर रहे।
घर-घर में खुशहाली आये, पले द्वेष न वक्ष तले।
सत्य सनातन पंथ चलें सब, आशाओं की दीप जले।।
करूँ प्रार्थना रघुनंदन से, दैहिक हर संताप हरो।
दीन- हीन निर्धन जन के प्रभु, तन मन का हर ताप हरो।
नाथ सहाय रहो जन-जन पर, हर मन में प्रभु धर्म पले।
सत्य सनातन पंथ चलें सब, आशाओं की दीप जले।।
दीपों का यह पर्व सुहावन, हर आलय खुशहाली हो।
दया भाव से युक्त हृदय हों, मंगलमय दीवाली हो।
सुधा-सुगंधा हर घर में हों, निर्धनता बस हाथ मले।
सत्य सनातन पंथ चलें सब, आशाओं की दीप जले।।
✍️ संजीव शुक्ल ‘सचिन’