सत्य पथ पर (गीतिका)
** सत्य पथ पर **
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जो सत्य पथ पर पग बढ़ाते हैं कभी डरते नहीं।
हर कष्ट सह लेते खुशी से आह तक भरते नहीं।
सब को सुहानी लग रही फूलों भरी हैं डालियां।
ये पुष्प सुन्दर अल्प जीवन का गिला करते नहीं।
हैं मुस्कुराते जो खिला करते सदा मधुमास में।
जो पतझडों में ही खिला करते कहां झरते नहीं।
जीवन स्वयं हित ही बिताते धन कमाते है सदा।
निज स्वार्थ केवल साधते पर पीड़ वो हरते नहीं।
जो देश हित में जिन्दगी अपनी लगाते दांव पर।
इतिहास में होते अमर हैं वो कभी मरते नहीं।
मंजिल बहुत है दूर उनसे जान लें यह भी सभी।
भयभीत जो मुश्किल भरे पथ पर कदम धरते नहीं।
हैं स्नेहपूरित नव उमंगों से से भरे जिनके हृदय।
सौंदर्य के आलोक हैं वे नित्य संवरते नहीं।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, मण्डी (हिमाचल प्रदेश)