सत्य की यात्रा
जन्म से और मृत्यु तक, कर्म से और धर्म तक।
पाप से पुण्य तक, सत्य की खोज के चर्म तक।।
झूठ से और सत्य तक, जंतु से और जीव तक।
हर्ष से शोक तक, सत्य की खोज के मर्म तक।।
गरीब से और अमीर तक, नीचे से और ऊपर तक।
अज्ञान से ज्ञान तक, सत्य की खोज के पान तक।।
अन्याय से और न्याय तक, मान से और सम्मान तक।
इंसान से भगवान तक, सत्य की खोज के गुमान तक।।
हंसी से और मजाक तक, क्रोध से और अभिशाप तक।
अंड से ब्रह्मांड तक, सत्य की खोज के सिद्धांत तक।।
ऋषियों से और मुनियों तक, साधु से और संत तक।
हिमालय से कैलाश तक, सत्य की खोज के विश्वास तक।।
हर कोई हैं लगा हुआ, हर कोई हैं खोजता।
सत्य बिना ना चैन हैं, सत्य को सब खोजते।।
सत्य क्या हैं सब पता, सत्य कहां हैं सब पता।
सत्य बिन ना कुछ यहां, सत्य पर ही सब टीका।।
सत्य की खोज में भटक रहा, सत्य अंदर हैं छुपा।
सत्य को ना मानता और सत्य को ना जानता।।
हैं मनुज ये मूर्ख पड़ा, हैं ज्ञान इसे खूब बड़ा।।
हैं मार्ग भी इसे पता, पर सत्य पर ना चल रहा।।
दिल दुखाना तू कभी, दिल लगाना तू कभी।
हैं सभी ये मोह माया, सत्य को पहचान जा।।
मृत्यु ही तो सत्य हैं, अटल अडिग ये सत्य हैं।
पहचान जा तू स्वयं को, तू ही सम्पूर्ण सत्य है।।
ललकार भारद्वाज