सत्य की पुकार
सत्य की पुकार हो
तीरगी की हार हो
पाप बढ़े जमीन पर
तो सदैव वार हो
झूँठ को उखाड़ दो
क्यों न कर हजार हो
राम राज्य आज हो
हर किसी गुजार हो
दीप जल उठे धरा
फैलता पियार हो
धर्म हानि हो कभी
तब उठी कटार हो
भ्रष्ट लोग अति करे
तब कटार मार हो
भू हरी भरी रहे
दिल हरेक यार हो
नफरतें दफन करो
प्यार बरकरार हो
दीप सब जला रहे
तम सदा उतार हो
कर ~~ हाथ
डॉ मधु त्रिवेदी