सत्य की खोज
डरना नहीं, रुकना नहीं आगे ही आगे जाना तुम
प्रपंच हो या विध्वंश हो, बस खोज सत्य की करना तुम
हूं कौन मैं, जाऊं कहां, है अस्मिता की पुकार ये।
मिल जायेगा उत्तर तुम्हें, काटो बंधनों की कतार ये।
परखो जरा खुदको स्वयं, छाया अंधेरा है सदा
पाओगे खुदमें ही तुम, उस अंधेरे की दवा।
बैठा है छुपकर वो कहीं, रहता सदा जो मौज में।
अड़ियल जरा हो जाओ तुम, बस निकलो उसकी खोज में।
जीवन जिसे कहते हो तुम, वो इक्षाओं की मौज है।
और इक्षाओं से मुक्ति ही तो, सत्य की खोज है।
पास होकर भी है खोया, इसका न तुमको खेद है।
है यही वो सत्य जो, डर के पिंजड़े में कैद है।
तुम वीर योद्धा बन उठो, उस सत्य के आगे चलो।
खोजी सदा उसके रहो, ढाल उसकी बन चलो।
सत्य नहीं वो मंजिल है, जिसको पाकर रुक जाओगे।
ये तो मुक्ति का मारग है, जो चले तो रुक न पाओगे।
आएगी आंधी जून की, बहेगी नदिया खून की।
बारिश भी होगी प्रेम की, बदनामी होगी नाम की।
पहचान भी मिट जायेगी, फिर बारी सत्य की आएगी।
तुम सत्य के हो जाओगे , और अनंत गति को पाओगे।
खोजी सत्य के कहलाओगे ,खोजी सत्य के कहलाओगे।।