*सत्य की खोज*
सत्य की खोज
सत्य की खोज के लिए…
झांकना होगा अंतर्मन में,
आत्मा को सत्य-असत्य का…
सदा भान हो रहा।
जर्रे- जर्रे में भी है इसका अस्तित्व,
क्यों इन्सान देखकर भी सो रहा।
दिन भी सत्य, रात भी सत्य,
सुख और दु:ख में भी सत्यता का अहसास हो रहा।
जन्म भी सत्य, है मरण भी सत्य,
ऊष्णता एवं शीतलता में सत्य का आभास हो रहा।
बाल्यावस्था से वृद्धावस्था तक उम्र के हर पड़ाव पर
सत्य की सत्ता का मान हो रहा।
सूरज के उगने, ढ़लने से दिन और रात एवं चंद्रमा के बढ़ने, घटने से पूर्णिमा और अमावस,
प्रकृति के हर परिवर्तन में भी, सत्य का नाम हो रहा।
धार्मिक दृष्टिकोण से देखे तो…
मन्दिर,मस्जिद, चर्च,गुरुद्वारों में..
नाम अनेक चाहे खुदा के,
लेकिन सत्य बस एक आस्था से सत्य का ज्ञान हो रहा।
सामाजिक एवं दार्शनिक दृष्टिकोण से भी…
‘मधु’ कण-कण में सत्य की सत्ता का अद्भुत प्रभाव समाहित हो रहा।