सत्य की खोज
ना तू सत्य, ना मैं सत्य
ना ये सत्य, ना वो सत्य
जाना पहचाना सा है
ये सत्य तो फिर भी छुपा है
ज़िन्दगी की पहेलियों में सत्य भी
यु तो उलझा हुआ है ।
ज़िन्दगी के रोशन रंगों में सत्य भी
यु तो बुझा हुआ है ।।
वक़्त के फेर में सत्य भी
यु ही चकरा रहा है ।
ज़माने की खुशियों मे
ये सत्य तो गुमसुम सा है ।।
सभी दुनिया में सभी लोग जानते हैं
बस सत्य को मानना ही बाकी है ।
ये शोर शराबा तो बेमतलब का है यारो
इस सत्य मे ख़ामोशी भी सुलझी हुई है ।।