सत्य की खोज
सत्य की खोज 🙏
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संस्कृति परंपरा का देश न्यारा
सत्यअहिंसाआस्था विश्वास भरा
पार्वती संग नाचें गाएं शंकर भोले
श्मशानी चिताभस्म स्वेत रंग लगाए
मणिकर्णिका हरिश्चंद घाट काशी में
होली दिवाली अद्भूत लोक निराली
धर्म कर्म आस्था सत्य खोज अति
निज धर्म महान दूजा सब बेकार
परंपरागत भाव मतभेदी रूप छिपी
धर्म कर्म कीअगुवाई बढ़ती मंहगाई
जठरानल शांति में लाचार विवश
माता पिता बहना बच्चे और भाई
सत्य यही दूजा खोज क्या करना है
अवध में राम काशी में शिव वैरागी
वृंदावन वासी कान्हा सत्य यही
जगत के पीर धीर वीर समस्त हैं
सत्य सनातन जीवों की शक्ति है
सृष्टि प्रकृति नजरों में सत्य परोक्ष
पाप पुण्य गरीबी अमीरी बेरोजगारी
नव पुरातन में भी एक समस्या सत्य
नर पिचाश घूम रहा लिए कृपाण
नारी आबरू सम्मान रक्षा की आस
फिर भी लुटी जाती है आस -पास
सत्य धूमिल हो पाप बढ़ती जाती
कानून पर कानून बनती बिगड़ती
न्यायमूर्ति लाचार विवश हुई पड़ी
एक निपटारा सामने दूजा है खड़ी
सत्य ही जीतता असत्य हारता है
सत्य आधार जीव प्राण भू पर
न्याय कानून इनका रखवाला है
स्वच्छ श्वांस हवा हो रही दूषित
प्रकृति रानी रोती चिल्लाती है
रोग जीवाणु विषाणु बढ़ रही है
ब्लैक होल्स अंतरिक्ष कोरोना सी
महामारी जन शव सैलाब रंगोली से
अमूल्य प्राणी प्राण मिटाने में लगी है
प्रयास सफल विफल होती रहती
सत्ते पर सत्ता आती और जाती है
जागरूकता की खोटे सिक्के हैं पड़े
सिंहासन की होड़ खड़ी जनता रोती है
आधुनिकता पैर पसारे सत्य दबाए
असत्य हड़प रही जन की भलाई है
सत्य संगीन पर्णी कष्ट पथ राही
पाप छनभंगूर नश्वर पथगामी जो
उठते-चलते धंसता ही जाता पर
मिलता इसे कहाँ कोई किनारा है
अपने छोड़ चले जाते ये भी सत्य
तिनके सी दूजा बनता एक सहारा है
झूठी मीठी बातें पर भरोसेमंद नहीं
मर्यादाहीन असत्य पहचान बनाते हैं
सत्यवादिता अंतहीन क्षितिज में भी
सत्यमेव जयते नाद गुंजन करता है
निर्वात आवाद संवाद में लघुसत्य
मिथ्यावादी निड़र घूम घूमक्कड़
सत्यवादी असहाय निराश रहता है
बर्बर शोषित कुपोषित जन घबराता
सत्य की एक पहचान नृप हरिश्वचंद
रानी शैव्या नाजुक पुत्र रोहिताश्व साथ
काशी डोम हाथ बिक श्मशान बसे
सर्प डंस मृतक पुत्र अग्नि संस्कार
निज भार्या से आंचल फाड़ कफ़न
मांग सत्य की परकाष्ठा सावित कर
शिक्षा दिए संसार पर जन कान खुले
आंखे बन्द पड़े समझ नहीं ये पाता है
जग सत्य जनमानस की दिल सत्य
दिमाग सत्य ज्ञान सत्य चंचल तन
माया मोह प्रेम प्यार सत्य है काया
पलते कुविचारों का मोह माया है
इससे बड़ा ना कोई पाताक जग में
सत्य यथार्थ है यथार्थ ही सत्य है
खुले नजर सामने जो वही सत्य
सत्य कुचला जाता है पर विजयी
सौन्दर्य छटा सर्वत्र छा जाता है
नभ तल घन जल स्वच्छ शीतल
मन तन प्रकृति की सुन्दर सपना
सत्य यही है नूतन खोज यही है
बिपरीत शानो शौकत निर्मोही
काया लोभी माया हिंसक प्रवृति
ऐसा दीर्घ ना कोई पाताक जग में
तन मन धन आयु मरण निश्चित है
सत्य मान इसे छोड़ प्राणी अपमान
खोज सत्य पहचान जीवन है महान
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तारकेशवर प्रसाद तरूण