सत्य की खोज यानी अपने आप की खोज. जीवन का परम लक्ष्य
ज़िन्दगी का ध्येय सबका एक था,
काम क्या करना है सबका एक था।
पाठ जिनको याद था वह तर गये ,
भूलने वाले बिलखते रह गये।।
पाठ क्या था , जानना था स्वयं को ,
साक्षी जो जगत का , उस अयन को।
गुरू की शिक्षा भूलकर हम सो गये ,
दुनियां की रंगीनियों में खो गये।
आयु जो भी शेष है , उपयोग कर,
जगत से मन को हटाकर ध्यान कर।
ऊँ जप ,सद्ग्रंथ पढ़ ,स्वासों को लख, प्रणायाम कर,
भूल जा जो हो गया ,अब तो प्रभु को प्यार कर।