सत्य की खोज
जीवन के रहस्यों में, उलझा हुआ है सत्य,
जाना पहचाना सा है, फिर भी छुपा है सत्य।
रहता निकट ही हमसे, पर दिखाई नहीं देता,
अदृश्य है, फिर भी हर जगह मौजूद है सत्य।
मन की गहराइयों में, दबा हुआ सा है सत्य,
जानने की अभिलाषा पर, छलका हुआ है सत्य।
खोज की यात्रा में, उजागर होता है सत्य,
आत्मज्ञान की ज्योति से, प्रकट होता है सत्य।
अनुभवों की परतों में, ढँका हुआ है सत्य,
जैसे हीरा कुँदन में, वैसे ही जड़ा हुआ है सत्य।
ज्ञान और विवेक की, बारीक रेखा है सत्य,
हृदय की अनंत गहराई में, बसा हुआ है सत्य।
जैसे धुंध में सूरज से, ढका हुआ है सत्य,
पर हर धुंध के पीछे, चमकता है यह सत्य।
वह हमारे भीतर है, हमारे स्वरूप में है,
जीवन का अर्थ समझेंगे, तब पाएंगे सत्य को।
– सुमन मीना (अदिति)
लेखिका एवं साहित्यकार