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7 Oct 2024 · 1 min read

*सत्य-अहिंसा की ताकत से, देश बदलते देखा है (हिंदी गजल)*

सत्य-अहिंसा की ताकत से, देश बदलते देखा है (हिंदी गजल)
_________________________
1)
सत्य-अहिंसा की ताकत से, देश बदलते देखा है
चरखे के चलने से गोरा, सूरज ढलते देखा है
2)
सोचो तो इतिहासों का वह, कैसा दौर रहा होगा
सत्याग्रह के पीछे सबने, भारत चलते देखा है
3)
केवल खादी वस्त्र पहनकर, लाखों ने भारत-भर में
अंग्रेजों का राज हिंद में, धू-धू जलते देखा है
4)
सूत कातना शुरू किया जब, चरखे ने हर घर-घर में
सत्ता का हिम-शिखर ताप से, रोज पिघलते देखा है
5)
आधे तन को ढके हुए यह, महापुरुष का तप ही था
खादी पहने हुए सड़क पर, गुस्सा पलते देखा है
———————————–
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

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