“सत्य अमर है”
सत्य सीधा है सरल है सुंदर है,
हम सत्य की विजय बताते हैं।
सत्य उन पुराने सिक्को की तरह है,
जिसकी परख जौहरी ही कर पाते हैं।
इस दुनियां वालों से जब जब सत्य कहा,
मेरे अपने ही अपने से कट जाते हैं।
लोग उपवास अन्न का करते हैं,
पर मन मे बुरे विचार और असत्य को घोलते है।
सत्य कड़वा जरूर होता है यारों,
एक बार पी कर देखो यारों।
जो मन मे जहर और मीठा शहद सा बोलते हैं,
उनसे बच के रहना दोस्तो ,वो खंजर ही भोकते हैं।
क्यो जी रहे हो असत्य की सिसकती सासों से,
एक दिन ऐसा आएगा ,जी नही पाओगे घुटती सासों से।
सत्य की राहों में खुद को निसार करके देखो,
मुसीबतों के इन पलों को सँवार के देखो।
सत्य सदा मौन रहता है, असत्य हरदम अड़ा रहता है,
सत्य पर असत्य का प्रहार बहुत पड़ता है।
फिर भी सत्य कभी नही डरता है,
आज झूठों की कालाबाजारी में।
लोग सत्य में असत्य का मिलावट करते हैं,
अपने ही स्वार्थ और लोभ में सच को झूट बताते हैं।
दोस्तो झूठ का व्यापार कितना भी बड़ा हो,
कितने ही साथी हो ,कितनी भी ताकत हो।
पर सत्य की ताकत से एक दिन पराजित हो जाओगे,
सत्य को जान लो ,सच को समझो हे! इंसान।
चंद सांसो की माया है ,क्यों करता हैं गुमान,
सांच को आंच नही सच गुमराह नही होता।
सच्चाई छुपती नही सत्य बेपरवाह नही होता,
सत्य परेशान होता है, पर हारता नही।
सत्य में श्रद्धा, प्रेम विश्वास डूबा है पर कोई जानता नही,
सत्य की खोज में निकलो तो ,गौतम बुद्ध को पाओगे।
सत्य का प्रचार करने निकलो,
तो विवेकानंद कहलाओगे।
मत नाता रखो झूठ से यारों,
हर सवाल अधूरा रह जायेगा।
असत्य की स्याही,से जीवन का पन्ना कोरा रह जायेगा,
उम्मीद की कलम ,गुनाहों में चल जाएगा।
मुख में मीठे बोल है हृदय कपट के भाव,
मानव में अब है नही ,सच सुनने का चाव।
न्यायालय में भी लग रहा,सच्चाई का बोल,
जैसा जैसा दाम है ,वैसे वैसे बोल।
सत्य की साथ चलो सत्य ही अमर है,
सत्य बादलों में छिपा सूरज की तरह है।
जीवन मृत्यु समय का चक्र और तथ्य है,
बस यही सत्य है, बस यही सत्य है।
लेखिका:- एकता श्रीवास्तव✍️
प्रयागराज।