सत्यमेव जयते
भारत की नारी के क्रंदन ने ,
आर्त पुकार ने,
हर मानुष को एक बार पुनः सोचने के लिए मजबूर कर दिया होगा……………
दर्द घटता ही नहीं, बढ़ता जा रहा है,
सलवटें मिटती नहीं, बढ़ती जा रही हैं,
लोगों की नजरों में प्यार की थपकी नहीं,
घृणा व जिल्लत की दुत्कार है,
क्यों ?
शरीर विदीर्ण कर डाला इसलिए ,
निचला हिस्सा फट गया इसलिए,
बदहाल हालत थी इसलिए,
जिंदा जला डाला इसलिए,
रेल की पटरी पर फेंका इसलिए,
तेजाब फेंका इसलिए…………
बड़ी ही अच्छी बात कही ,
सड़क पे चलते कुत्ते ने काटा तो ,
सहानुभूति व दया की सौगात………
इस बर्बरता……… व क्रूरता के बदले क्या ?
प्रश्नों की बौछार,
अश्लीलता की हदें पार,
व्यक्ति परिवार समाज अदालत हर कटघरे में,
क्यों ?
उस नन्ही मासूम बच्ची ,
जिसने सीखा भी न था बोलना,
घर से बेघर हुई,
समाज की हिकारत सही,
न जाने कितने दिनों तक चूल्हा न जला,
क्यों ?
बेबसी का आलम इतना दर्दनाक,
बालिका, युवती , प्रौढ़ा, वृद्धा,
स्त्री का हर रूप इस बर्बरता का शिकार,
मासूमियत की सजा है ये ?
क्या है?
हर रूप में दोषी नजरों से बिंधती स्त्री ही क्यों ?
चाक के हर पाट में पिसती क्यों?
सवालों के कटघरों से जूझती क्यों?
क्रूरता की हदें पार करता, दानवीयता का,
हर शिकार,
स्त्री ही क्यों?
सामूहिक हो या एकल हो !
नृशंस समाज की नग्नता का चिग्घाड़ करती है ये हैवानियत……
मेरे शब्दों की औकात नहीं कि,
उस टभकते, चुभते , मसोसते, सुलगते दर्द को,
उकेर सके………………….
सिर्फ नम आँखें कब तक ?
एक बिगुल है , उद्घोष है,
उस खौलते,उबलते उफान की सच्ची तस्वीर है ” सत्यमेव जयते” की पहल,
हर स्त्री की पीड़ा का, कराह का मंच है,
जहां अस्पतालों और पुलिस का कच्चा चिट्ठा है खुला,
वहीं एक रोशनी की किरण है,
अब हर नज़र में थोड़ी तो हया होगी,
अब दर्द शायद महीनों, सालों, अरसों सजोना न होगा,
अगली पेशी के लिए उमड़ते सैलाब से,
हर चुभन बह जाने को तैयार होगी,
जगमगाहट में आँखें चौंधियाँ के झुकेंगी नहीं,
सृष्टि के हर जर्रे में मधुमास होगा,
दर्द को कुरेदते काँटों से, सवाल न होंगे,
बह जाएगा दर्द,
दर्द मुझे देकर जो चैन से जी रहा था,
जिसे लोगों ने मुझे चाह कर भी भूलने न दिया,
जब तक पूरता तब तक फिर कुरेद देते,
इस खूफ़्र से बाहर आकर,
जीउंगी मैं , गढ़ूँगी मैं नए सपने,
कुचल के रख दूँगी दरिंदों को,
इस उम्मीद का दामन थामे रखूंगी हर कदम,
क्योंकि पूरा भारत शायद उनींदी से जाग रहा है…………
जय हो भारत… सत्यमेव जयते ।
( हम सबको अपनी पहल करनी होगी ,
क्योंकि हर बूंद का अपना अस्तित्व है )