Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Aug 2023 · 3 min read

सत्ता परिवर्तन

सत्ता परिवर्तन

पुराने जमाने की बात है। एक बहुत ही बड़ा वन्य प्रदेश था। नाम था उसका – फारेस्टलैण्ड। आधुनिक अधिकतर राज्यों की तरह फारेस्टलैण्ड में भी लोकतंत्रीय शासन पद्धति थी। साथ ही भारत और इंगलैण्ड की तरह संसदीय शासन प्रणाली भी। जिस प्रकार भारत में 28 राज्य और 7 केंद्र शासित प्रदेश हैं, ठीक उसी प्रकार फारेस्टलैण्ड में भी 20 राज्य थे। जैसे सिंहभूमि, टाइगर स्टेट, सूकरगढ़, मूक राज्य, शशक राज्य, खगपुर, हस्तिनापुर, हिरण्यपुर, व्याघ्रप्रांत, सियारपुर इत्यादि।
लोकतंत्र में अंतिम सत्ता जनता के हाथों मे होती है। वही अपनी सरकार चुनती है। सिंहभूमि तथा टाइगर स्टेट की आबादी कम होने के कारण वहाँ स्वीट्जरलैण्ड की तरह प्रत्यक्ष प्रजातंत्र था जबकि अन्य राज्यों की आबादी अत्याधिक होने के कारण वहाँ भारत की तरह अप्रत्यक्ष प्रजातंत्र या प्रतिनिधियात्मक प्रजातंत्र थी।
स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व प्रजातंत्र के मूलमंत्र हैं. इसलिए यहाँ की सभी जनता कानून या विधि के सामने समान थे। स्वतंत्रतापूर्वक कहीं भी घूम फिर सकते थे। उनके एक प्रांत से दूसरे प्रांत में आने जाने पर कोई प्रतिबंध नहीं था। सभी मिल जुलकर रहते थे। शेर और हिरण एक दूसरे के कंधे पर हाथ डालकर सिर्फ चुनाव के समय ही नहीं; किसी भी समय घूमते देखे जा सकते थे। यहाँ शेर भी घास खाता था।
एक बार प्रधानमंत्री शेरसिंह अपने किसी काम से शशक राज्य गए हुए थे। अचानक उनकी दृष्टि हिरण्यपुर की राजकुमारी हरिणा पर पड़ी।
वहां हरिणा अपने पति हिरण्यकष्यप के साथ वहाँ हनीमून मनाने आई थी। शेरसिंह का जी ललचाया। सोचा- ‘‘सुना है हिरण का माँस बहुत ही कोमल और स्वादिष्ट होता है। मैंने तो जीवन में कभी चखा नहीं है। पर चाहूँ तो आज चखने को क्या पेट भर खाने को मिल जाएगा।’
उसने इधर-उधर देखा। किसी को न पाकर वह कुलाँचे भर रही हरिणा को दबोच लिया। शेरसिंह का दुर्भाग्य था कि हरिणा को खींचते हुए ले जाते समय उसे शशक राज्य का राजकुमार शशांक मिल गया। उसने शेरसिंह से कहा- ‘‘प्रधानमंत्री जी, ये आप क्या अनर्थ कर रहे हैं ? आप संविधान का उल्लंघन कर रहे हैं। आप इसकी जीवन की स्वतंत्रता का हनन कर रहे हैं।’’
परंतु शेरसिंह पर तो कुछ और ही धुन सवार थी। उसने शशांक को भी मारना चाहा, पर दुर्भाग्य से वह उसे पकड़ न सका, क्योंकि शशांक एक बिल में घुस गया और वहीं से बोला- “मंत्री जी, आप भूल रहे हैं कि हमारे देश में प्रजातंत्रीय शासन प्रणाली है और अगर हम चाहें तो आपकी सरकार को जब चाहे तब हटा सकते हैं।’’
शेरसिंह दहाड़ा- ‘‘अब चुप, बड़ा आया मुझे सत्ताच्यूत करने वाला।’’ और वह हरिणा को खींचते हुए एक गुफा में ले गया।
शशांक जब बाहर निकला तो उससे एक हिरण ने पूछा, “क्या आपने इधर किसी हिरणी को देखा है ?’’
शशांक ने पूरी कहानी उसे सुना दी। रोते-बिलखते हिरण्यकष्यप अपने राज्य लौटा और पूरी बात अपने पिता तथा ससुर को बतायी।
शशांक ने भी अपने पिता को शेरसिंह की कहानी बताई। अगले दिन देश के सभी प्रमुख समाचार पत्रों ने यह खबर छापी। आकाशवाणी और दूरदर्शन से भी समाचार प्रसारित हुए। जगह रैलियाँ निकाली गईं। शेरसिंह के पुतले जलाए गए।
राष्ट्रपति जटायु ने देश की बिगड़ती हालत को देखकर संसद की आकस्मिक बैठक बुलाई। विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव पेश किया, जो भारी बहुमत से पारित हो गया। शीघ्र ही देश में मध्यावधि चुनाव कराए गए, जिसमें सूकरमल की पार्टी भारी बहुमत से जीत गई जबकि शेरसिंह सहित उसके कई दिग्गज मंत्रियों की जमानत जब्त हो गई।
इस प्रकार फारेस्टलैण्ड में फिर से लोकतंत्र की बहाली हो गई।
डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा
रायपुर, छत्तीसगढ़

557 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
ଜାମ୍ୱାଇ
ଜାମ୍ୱାଇ
Otteri Selvakumar
मन मोहन हे मुरली मनोहर !
मन मोहन हे मुरली मनोहर !
Saraswati Bajpai
आदिवासी कभी छल नहीं करते
आदिवासी कभी छल नहीं करते
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
हाय री गरीबी कैसी मेरा घर  टूटा है
हाय री गरीबी कैसी मेरा घर टूटा है
कृष्णकांत गुर्जर
यादें
यादें
Dipak Kumar "Girja"
बहके जो कोई तो संभाल लेना
बहके जो कोई तो संभाल लेना
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
प्रेम
प्रेम
Pushpa Tiwari
दोहा- छवि
दोहा- छवि
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
कभी-कभी ऐसा लगता है
कभी-कभी ऐसा लगता है
Suryakant Dwivedi
विकल्प
विकल्प
Sanjay ' शून्य'
शु
शु
*प्रणय*
बाण मां के दोहे
बाण मां के दोहे
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
उस दर पर कोई नई सी दस्तक हो मेरी,
उस दर पर कोई नई सी दस्तक हो मेरी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
*लंक-लचीली लोभती रहे*
*लंक-लचीली लोभती रहे*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
इंसान को इतना पाखंड भी नहीं करना चाहिए कि आने वाली पीढ़ी उसे
इंसान को इतना पाखंड भी नहीं करना चाहिए कि आने वाली पीढ़ी उसे
Jogendar singh
3941.💐 *पूर्णिका* 💐
3941.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
प्यार के
प्यार के
हिमांशु Kulshrestha
मजदूर की मजबूरियाँ ,
मजदूर की मजबूरियाँ ,
sushil sarna
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
"मेरी नज्मों में"
Dr. Kishan tandon kranti
किसी को जिंदगी लिखने में स्याही ना लगी
किसी को जिंदगी लिखने में स्याही ना लगी
कवि दीपक बवेजा
हिन्दी ग़ज़ल के कथ्य का सत्य +रमेशराज
हिन्दी ग़ज़ल के कथ्य का सत्य +रमेशराज
कवि रमेशराज
हमारी फीलिंग्स भी बिल्कुल
हमारी फीलिंग्स भी बिल्कुल
Sunil Maheshwari
" जब तक आप लोग पढोगे नहीं, तो जानोगे कैसे,
शेखर सिंह
नववर्ष 2024 की अशेष हार्दिक शुभकामनाएँ(Happy New year 2024)
नववर्ष 2024 की अशेष हार्दिक शुभकामनाएँ(Happy New year 2024)
आर.एस. 'प्रीतम'
जिंदगी का हिसाब
जिंदगी का हिसाब
Surinder blackpen
तू सुन ले मेरे दिल की पुकार को
तू सुन ले मेरे दिल की पुकार को
gurudeenverma198
गंगा नदी
गंगा नदी
surenderpal vaidya
मन की प्रीत
मन की प्रीत
भरत कुमार सोलंकी
Change is hard at first, messy in the middle, gorgeous at th
Change is hard at first, messy in the middle, gorgeous at th
पूर्वार्थ
Loading...