सत्ता चिरस्थायी नहीं होती !
सत्ता चिरस्थायी नहीं होती !
गरीबी हटाओ, इंदिरा हटाओ, कांग्रेस हटाओ, लालू हटाओ, अब मोदी हटाओ, यह तो हटाने का पारंपरिक उत्सव है ! जिन्हें जिनके विचार पसंद नहीं आये, उन्हें हटाओ !
शाहजहाँ को हटा औरंगजेब सत्तासीन हुए, मुलायम को हटा अखिलेश अध्यक्षासीन हुए, तो कांशीराम को हटा मायावती । सबने देखा है, जॉर्ज फर्नाडिस को किस तरह से दरकिनार किया गया । आडवाणी जी को अटल जी के अधीन ‘डिप्टी’ रहने की अब तक पीड़ा है, तो अपने शिष्य मोदी जी से और भी !
कल जिसे आपने हटाया, आगामी कल को वह नहीं तो कोई और कभी न कभी आपके साथ पुनरावृत्ति जरूर करेगा । जब इस देश को 14 साल की सफल और सुफल सेवा ‘चरणपादुका’ (चप्पल व खड़ाऊँ) दे सकते हैं, तो किसी को भी कुर्सी की लालच क्यों ? सत्ता चिरस्थायी नहीं होती ! सुकार्य और सद्कार्य चिरस्थायी होते हैं।
अगर कोई भी जनप्रतिनिधि ये दोनों कार्य सम्पादित किए हैं, तो आपके कृतित्व और व्यक्तित्व इतिहास के स्वर्णाक्षरों में अंकित रहेंगे, तब सत्ता की बागडोर संभाले हो या नहीं, फर्क नहीं पड़ता!