सत्ता को चुनौती देने वाला कवि
अंधेरा होने वाला अभी और घना है!
हमारा मुस्तक़बिल बेहद डरावना है!!
दुनिया में कहीं बदनामी न हो जाए
उनका हाथ अवाम के लहू से सना है!!
ज़िल्ल-ए-इलाही का फ़रमान है कि
यहां कोई तस्वीर लेना सख़्त मना है!!
उसने तालीम और रोज़गार छिनकर
नौजवानों को थमा दिया झुनझुना है!!
आपको अभी हिंदू-मुस्लिम की पड़ी
होश में आइए, यह क्या बचपना है!!
Shekhar Chandra Mitra
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