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16 Oct 2019 · 1 min read

सती प्रथा

भारतीयता की है पहचान
भारतीय संस्कृति संस्कार

होता परस्पर आदान प्रदान
पीढी को पीढी से संस्कार

भारतीय संस्कृति है समृद्ध
विभिन्न प्रथाएं भिन्न प्रभार

कुछ थी ऐसी हमारी प्रथाएँ
जिन पर आता है तिरस्कार

उन्ही में से ही थी एक प्रथा
सति प्रथा नामक था विकार

खड़े हो जाते आज भी रौंगटे
जब आते सति प्रथा विचार

देवी सती से मिला यह नाम
दक्षायनी भी वही सती नार

दक्ष पुत्री सती हो गई व्यथित
दक्ष किया पति शिव तिरस्कार

अग्नि कुंड में सती गई कूद
आत्मदाह कर बनी अवतार

जब पति हो जाता स्वर्गवासी
पत्नी को करते चिता सवार

पिला करके धतूरा ओर भांग
बेहोश कर संग लिटाते भरतार

दे देते जिंदा को संग मृत अग्नि
ना सुनते चीख चित्कार पुकार

शँखो बजा करते ऊँचा उदघोष
ना सुने चित्कार बनके लाचार

हो जाती थी लाचार स्त्री कुर्बान
यही था सती प्रथा आसार प्रचार

भारतीय पुरूष प्रधान संस्कृति
मूक दर्शक बन देखती तस्वीर

पैदा हुआ भारत में ब्रह्म समाजी
राजा राममोहनराय थे सृजनहार

जागरूक किया था पूर्ण समाज
आन्दोलन कर किया था मजबूर

पूछा सरकार से जटिल सवाल
पति मरे तो पत्नी का क्या कसूर

फिर क्यों करे यह सारा समाज
भार्या भरतार संग सती मजबूर

किया राजा राममोहनराय कमाल
न्याय दिलाया स्त्री को थी लाचार

पास कराया सतीप्रथा रोक कानून
कर दिया सती प्रथा था दरकिनार

हुइ स्त्री कल्याणकारी यह कार्य
मिला स्त्री रत्न को यह पुरस्कार

मिला स्त्रीरत्न को ये मान सम्मान
महिला शक्ति नव जीवन आधार

सुखविंद्र सिंह मनसीरत

Language: Hindi
325 Views
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