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12 May 2018 · 1 min read

सताने लगे हैं

सताने लगे हैं
*************
मुझे वो गले अब लगाने लगे हैं।
कि अपना मुझे अब बताने लगे हैं।

लगता समझ प्यारा मेरा गये वो।
कि मुझसे वो नजरे चुराने लगे हैं।

नहीं अब फिक्र की कहेंगे हमें क्या।
घड़ी दर घड़ी आजमाने लगे है।

कि मौका मिला तो बतायेंगे हम भी-
कि वो प्यार हँस के जताने लगे हैं।

यहीं प्यार है या की है कोई धोखा।
अजी रोज ख्वाबों में आने लगे है।

कि ख्वाबों – ख़यालों में आते हमेशा।
मगर रोज आकर वो जाने लगे हैं।

अजी क्या कहें आज उनकी शराफत।
मुझे दूर कर अब सताने लगे हैं।
………।।।……..
✍ ✍ पं.संजीव शुक्ल “सचिन”

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