सताता है इश्क़
वक्त बेवक्त मुझे, सताता है इश्क़
कांटे की तरह चुभ जाता है इश्क़
जब से चोट इश्क़ में खाई गहरी
मन को अब नहीं भाता है इश्क़
जो इश्क़ मेरी हंसने की वजह था
अब हर पल मुझे रुलाता है इश्क़
मुस्कुराकर झेलता हूं दर्द आजाद
हर रोज़ मुझपे कहर ढाता है इश्क़
कवि आजाद मंडौरी