*सड़क छोड़ो, दरवाजे बनवाओ (हास्य व्यंग्य)*
सड़क छोड़ो, दरवाजे बनवाओ (हास्य व्यंग्य)
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सड़क मूलत: नाशवान वस्तु है। आप कितनी भी मेहनत से इसे अच्छे ढंग से बनवा दें, यह दस-बीस साल से ज्यादा नहीं चलेगी । इस तरह सड़क बनवाने का श्रेय ज्यादा से ज्यादा बीस-पच्चीस साल तक रहता है। उसके बाद सड़क उधड़ जाएगी। फिर जो इसे बनवाएगा, श्रेय उसके खाते में जमा होगा ।
सबसे बढ़िया काम सड़क पर दरवाजा बनवाना है । मामूली दरवाजा भी सौ-पचास साल चल जाता है । अगर शताब्दियों तक किसी को श्रेय प्राप्त करना हो, तो वह इतनी मजबूती से दरवाजा बनवाए कि हजार-पॉंच सौ साल तक टस से मस न हो । बुलडोजर भी आ जाए तो आठ-दस दिन में जाकर दरवाजा टूटे । ऐसी मजबूती के साथ अगर एक भव्य दरवाजा भी किसी ने अपने कार्यकाल में बनवा लिया, तो उसका नाम इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में अंकित हो जाएगा।
हमेशा से राजाओं, महाराजाओं और नवाबों ने इसीलिए सड़क बनवाने के स्थान पर दरवाजे बनवाने के काम में ज्यादा दिलचस्पी ली। शहर से लेकर गॉंव तक के रास्ते अगर कच्चे बने रहे और दूसरी तरफ शानदार दरवाजे निर्मित होते रहे, तो इसका कारण यही है कि सड़क नाशवान है और दरवाजा अजर-अमर कहलाता है । जो वस्तु शाश्वत और कभी समाप्त न होने वाली है, उसमें रुचि लेनी चाहिए । जितना पैसा राजकोष से खर्च कर सकते हो, दरवाजा बनाने में लगाओ । लोग सदियों तक दरवाजे को देखने के लिए आऍंगे, निहारेंगे, उसकी कलाकृति और शिल्प की बारीकियों का अध्ययन करेंगे और फिर वाह-वाह कहते हुए उसके निर्माता की स्तुति में तारीफों के पुल बॉंध देंगे ।
यह बात अपनी जगह सही है कि एक गरीब देश में जहॉं स्कूल, कॉलेज, अस्पताल जैसे कई काम करने की चुनौती पड़ी हुई है, एक दरवाजे पर धन बर्बाद करने के स्थान पर अन्य कार्यों में धन सदुपयोग में लाया जा सकता है, वहॉं दरवाजा बनाना कोई अकलमंदी का काम नहीं है। यह भी सही है कि सड़क पर अगर दरवाजा नहीं बनेगा, तब भी लोग उस सड़क पर सुविधा पूर्वक आवागमन कर सकते हैं । यह बात भी सही है कि दरवाजा बनने से सड़क का चौड़ापन कम हो जाता है ।
दरवाजे बनवाना हमेशा से राजाओं और नवाबों को प्रिय रहे हैं । उन्होंने इस कार्य में धन की कमी कभी महसूस नहीं होने दी। लोकतंत्र में सरकार में बैठे लोग भी नए राजा और नए नवाब हैं। सत्ता पर चाहे जो बैठे, सत्ता का मिजाज अपनी जगह एक जैसा ही रहता है । इसलिए मेरी तो यही राय है कि जिन्हें हजारों साल तक अपनी कीर्ति को अक्षुण्ण रखना है, उन्हें सड़क बनवाने जैसे मामूली काम के चक्कर में न पड़कर दरवाजे बनवाने जैसे बड़े कामों को हाथ में लेना चाहिए।
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लेखक : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451