सड़कों की ट्यूबें
सर्दियों में
कोहरे की
घुप घनी रात में …..
शहर की सूनी वीरानी सड़कों पर….
ट्यूबें ऐसे जलती हैं ……
मानो
सारे जग के
अंधियारे को
दूर करेंगी …..
चूर करेंगी …..
पर …
ज्यूं दीपक है
सूरज को …..
और है जुगनू….
अंधियारे को …
वैसे ही हैं ….
यह सब ट्यूबें ….
क्या कर सकतीं ….
क्या यह करेंगी …
क्या ये करेंगी …..
दूर तिमिर को ……
जो है
इस जग में उमड़ाया।
अज्ञान का तिमिर है ये …
दूर नहीं
कर पाएंगी
ये बेचारी
सड़कों की ट्यूबें।