सजी धजी है आज,धरा को देखो
मंच को नमन ?
छंद-हंसगति(मापनी मुक्त)
विधा-गीतिका
११,९ पर यति
यति से पूर्व व पश्चात त्रिकल अनिवार्य
चरणांत-दीर्घ वाचिक
सजी धजी है आज,धरा को देखो।
पीत बसन हैं गात,धरा को देखो।।
रौनक है सब ओर, लुभाए मन को,
वासंती है चाल,धरा को देखो।
हरित क्रांति चहुं ओर,मही मोहक है,
खिली खिली फुलवार,धरा को देखो।
कहीं चहकती नीड़,बनी कोयलिया,
किये सभी श्रृंगार,धरा को देखो।
जन मन सकल लुभाय,अटल को भाती,
दुनिया गाये गान,धरा को देखो।
?अटल मुरादाबादी?