सजी धजी बारात
क्या होंगे उस द्वार के, सोचो तो हालात !
लौटी हो आकर जहाँ, सजी धजी बारात !!
बढती गई किसान की, दिन पर दिन जब पीर !
मेघों ने अपना स्वंय, ………..दिया कलेजा चीर ! !
रमेश शर्मा.
क्या होंगे उस द्वार के, सोचो तो हालात !
लौटी हो आकर जहाँ, सजी धजी बारात !!
बढती गई किसान की, दिन पर दिन जब पीर !
मेघों ने अपना स्वंय, ………..दिया कलेजा चीर ! !
रमेश शर्मा.