सजा दें
मुहब्बत दिखा जब किसी से फँसा है
कभी क्यों न उसको जरा सी सजा दें
दुखाया किसी का कभी दिल न तूने
दुआ को सभी की सदा ही फला दें
दिया साथ जो झूँठ का जब न तूने
सही बात से क्यों न परदा उठा दें
दिखा आयना जो लुभाया सभी को
वहीं प्यार तू सभी पर लुटा दें